नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बदहाली के शिकार बुंदेलखंड पर उत्तर प्रदेश और केंद्र का झगड़ा राज्यसभा में भी गूंजा। बसपा और कांग्रेस आपस में भिड़ गई। बसपा ने कहा कि विशेष पैकेज के तहत उसका पूरा धन 'अतिरिक्त केंद्रीय सहायता' के रूप में मिलना चाहिए। उसने केंद्र सरकार पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया। सरकार ने स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की तो बसपा और भाजपा सदस्यों ने इतना हंगामा मचाया कि प्रश्नकाल तय समय से पहले ही खत्म करना पड़ गया।
बसपा के गंगाचरण राजपूत ने गुरुवार को राज्यसभा में बुंदेलखंड को केंद्र से मिले विशेष पैकेज का मामला प्रश्नकाल में उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्ष 2009 में बुंदेलखंड के लिए 7266 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज का एलान तो कर दिया, लेकिन दे नहीं रही है। पैकेज में से 3506 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड को व 3760 करोड़ रुपये मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड को मिलने थे। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने 200 करोड़ रुपये अलग से देने की घोषणा की थी। सरकार से अभी तक उत्तर प्रदेश को सिर्फ 1696 करोड़ व मध्य प्रदेश को 1954 करोड़ रुपये केंद्रीय अतिरिक्त सहायता के रूप में मिल सके हैं। बाकी धन को उसने चल रही विभिन्न योजनाओं के मद में डाल दिया है। सरकार साफ बताए कि पैकेज का पूरा धन वह केंद्रीय अतिरिक्त सहायता के मद में देगी या नहीं?
योजना राज्यमंत्री अश्विनी कुमार ने जवाब में कहा कि सिर्फ केंद्रीय अतिरिक्त सहायता को ही विशेष पैकेज नहीं माना जाना चाहिए। मंत्री के इतना कहते ही बसपा सदस्य अपनी जगहों पर खड़े होकर विरोध करने लगे। उसी बीच भाजपा के विनय कटियार, कलराज मिश्र और दूसरे सदस्य भी सरकार का विरोध करने लगे। शोर-शराबे के बीच ही गंगाचरण राजपूत ने सरकार से बुंदेलखंड में उद्योगों को लगाने के लिए उत्पाद शुल्क व आयकर में छूट दिए जाने के लिए सरकार के रुख के बारे में दूसरा प्रश्न पूछा। लेकिन हंगामे के चलते सरकार की तरफ से जवाब नहीं आ सका। सभापति मुहम्मद हामिद अंसारी ने सदस्यों को शांत कराने व प्रश्नकाल जारी रखने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने। हंगामा न थमते देख सभापति ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी। उस समय प्रश्नकाल में लगभग सात मिनट बाकी थे।
मनमाने तरीके से खर्च
हो रहा पैकेज का धन
नई दिल्ली [जाब्यू]। बुंदेलखंड पैकेज का धन मिलने में देरी को लेकर उत्तर प्रदेश को केंद्र से शिकायतें भले ही हों, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि वहां परियोजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो रहा है। ठेकेदारों को मनमाने तरीके से भी काम दिए गए हैं। टेंडर की प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में है। घटिया काम कराए गए हैं। यहां तक कि पेयजल के लिए हैंडपंप वहां नहीं लगाए गए, जहां लगने चाहिए थे।
केंद्रीय योजना राज्यमंत्री अश्विनी कुमार ने गुरुवार को राज्यसभा को बताया कि केंद्र को मिली इन शिकायतों को जरूरी कार्रवाई के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों को भेज दिया गया है। इसके अलावा योजनाओं की प्रगति की मॉनीटरिंग योजना आयोग की निगरानी समिति भी कर रही है। जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यसचिव व संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल हैं।
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