Wednesday, July 14, 2010

We want solved water problem in bundelkhand and its solution.

बुंदेलखंड में टीकमगढ़ और छतरपुर जिले को यदि सरकार रोटी पानी देना चाहती है,यहाँ के लोगों का विकास करना चाहती है और आगे के नौजवान बच्चों,आने वाली पीढ़ियों को आत्मनिर्भय बनाना चाहती है तो पंजीरी खिलाने और रहत कार्यों की भूरसी बाँटने से उत्तम रहेगा और लोगों को सदैव के लिए पानी रोटी के अभाव से मुक्ति दिलाने के लिए विकास के नाम पर केवल एक ही योजना की जरूरत है कि बुंदेलखंड में टीकमगढ़ छतरपुर आदि कि छोटी बड़ी नदियों के बांध बना दिए जाएँ चाहे वो विशाल झीलों के रूप में ही क्यों न बने हों और उनसे दोनों जिलों में मुख्या नाहर निकल कर उनसे छोटी शाखा नहरें बनाकर क्षेत्र के तालाबों से जोड़ दिया जाये ताकि जब बांधों वाली नदियों में बाढ़ ए तो वह बाद का पानी आगे न जाकर नहरों से बिभाजित होकर क्षेत्र के सरे तालाबों को भर देगा ! जब पानी होगा तो कृषि विकसित होगी लोगों का रोटी और रोजगार के लिए क्षेत्र से जाना बंद हो जायेगा क्योंकि रोटी खेत से पैदा होती है न कि कारखाने और अन्य स्थान से नहीं !

रोटी को पैदा करने कि लिए सिचाई के जल कि आवश्यकता है जिसके लिए सदियों से बुंदेलखंड का किशन परेसान है ! यदि पानी का भरपूर प्रबंध कर दिया जाता है तो सारी समस्याओं का समाधान स्वमेब हो जायेगा!

अनेक क्षेत्रों में थोडा थोडा से विकास सरकारी खजाने की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं है क्योंकि उससे न तो विकास दीखता है और न ही रोटी होती है और न रोजगार !
उपाय :

पानी के प्रबंध के लिए धसान नदी पर वरापटा पर बांध बनाना उपयुक्त रहेगा क्योंकि केवल २०० मी. बांध बनना है और दोनों तरफ ऊँचे ऊँचे पहाड़ है केवल नदी पर ही पक्का बांध बनना है इस पर चाहे कितना भी पैसा लगे २०० मी.पक्का ऊँचा बांध बन जाने से छतरपुर और टीकमगढ़ के सभी लोगों की सभी समस्याओं का समाधान हो जायेगा ! क्योंकि पानी का प्रबंध मुख्या है वही जीवन है !

डॉ.काशीप्रसाद त्रिपाठी
टीकमगढ़

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