बुन्देलखण्ड के दूर-दराज ग्रामीण क्षेत्रों से रोजी-रोटी की तलाश में महानगरों में रहने वाले ग्रामीणों को प्रधानी का मोह सताने लगा है। ग्राम प्रधान क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के ओहदेदार पदों के आगे अब उन्हेें महानगरों की चमक-दमक फीकी लगने लगी है इसीलिये अनेक लोग अपने बीबी, बच्चों केा लेकर गांव वापस आ रहे है और प्रधानी से लेकर क्षेत्र पंचायत सदस्य ग्राम पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य का पर्चा भर रहे है। जहां महिलाअों के लिये आरक्षित सीट है और वे स्वयं चुनाव नही लड़ सकते वहां अपनी -अपनी पित्नयों या अन्य रिश्तेदारों को चुनाव लड़ज्ञ रहे हैं।
बांदा जिले महुआ किवास खण्ड के अन्तर्गत पनगार सबसे बड़ी ग्राम पंचायत है जहां ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा हैं। पनगरा ग्राम पंचायत विभिन्न पदों के आरक्षण के अनुसार अनुसूचित जाति महिला के लिये आरक्षित है जिसमें गॉव मे स्थायी रहने वाले लोगों के अलावा कई ऐसे उम्मीदवार अपनी-अपनी पित्नयों को खड़ा किये है जो वशोZ से दिल्ली, पंजाब और सूरत में रोजी रोटी कमाने के लिये गये थे और वही बस गये।
पनगरा ग्राम पंचायत में पहले चरण में होने वाले चुनाव के लिये कुल 22 महिलायें प्रधान पद की उम्मीदवार है जिसमें सबसे अधिक 8 प्रत्याशी चमार बिरादरी क है, 6-6 प्रत्याशी कोरी और धोबी बिरादरी के तथा 2 प्रत्याशी वाल्मीक समाज के है। इनमें सबसे अधिक संघशZ कोरी विरादरी में है। दसियों साल से दिल्ली में सपरिवार रहने वाले रामेश्वर कोरी विरादरी के ही है जो चुनाव लड़ने के लिये बच्चों सहित आ गये है और प्रधान पद के लिये अपत्नी को उम्मीदवार बना दिया हैं। ओमप्रकाश उर्फ मुन्ना पनगरा के चलते पुर्जा और समाज में अच्छी पैठ रखने वाले बाकर का नाती है जो कानपुर, बम्बई, सूरत घूमता रहा है और चुनाव के आकशZण में गॉव आ गया है।
कोरी बिरादरी को ब्राहा्रण समाज का समर्थन मिलने के कारण नत्थू की पत्नी सुन्दी की स्थिति काफी सुदृढ़ दिखायी देती है जो `बाकर´ के छोटे भाई जमुना प्रसाद का लड़का है। अन्य उम्मीदवारों में िशवप्रसाद पुत्र रामटहलू (बाकर के बहिने के नाती) रामकिशुन बाकर के अन्य बहिन के लड़के के दमाद तथा कल्लू की पत्नी चुनाव मैदान में है ये सभी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे है।
No comments:
Post a Comment