किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया है,
कहीं मंदिर की परछाई, कहीं मस्जिद का साया है,
न तब पूछा था हमसे, ना अब पूछने आये,
हमें फुर्सत कहाँ, रोटी की गोलाई के चक्कर से,
ना जाने किसका मंदिर है, ना जाने किसकी मस्जिद,
ना जाने किसकी साजिश है, ना जाने किसकी जिद है,
अजब सा सिलसिला है, जाने किसने चलाया है
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