Wednesday, September 29, 2010

पृथक बुंदेलखंड: सच्‍चाई यह भी -1

केंद्रीय बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के गठन को लेकर कांग्रेस, भाजपा और बसपा के बीच तूतू मैंमैं चल रही है। मध्‍य प्रदेश की भाजपा सरकार और यूपी की बसपा सरकार इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के खिलाफ एकजुट होकर विरोध कर रही हैं। कांग्रेस ने दोनों राज्‍यों में अपनी प्रदेश इकाइयों को इस विरोध के खिलाफ एकजुट कर मुकाबला करने का रास्‍ता अख्तियार किया है। लेकिन कांग्रेस नेता केंद्रीय बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण की आड़ में अब पृथक बुंदेलखंड राज्‍य बनाने की बात कर रहे हैं।
सागर (संजय करीर/डेली हिंदी न्‍यूज़)। बुंदेलखंड के मुद्दे पर कांग्रेस की वास्‍तविक मंशा आखिरकार उजागर हो गई है। केंद्रीय बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के गठन को लेकर मची हाय-तौबा वास्‍तव में रुपयों की बंदरबांट के कारण है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने भले ही यह प्रस्‍ताव क्षेत्र में विकास की गति तेज करने के लिए रखा हो लेकिन कहीं न कहीं उनके दिमाग में इसके राजनीतिक निहितार्थ भी हैं।
क्‍या पृथक बुंदेलखंड राज्‍य बनना चाहिए? इस मामले में आप क्‍या सोचते हैं … टिप्‍पणी लिखकर अपनी राय से अवगत करायें
अचानक कांग्रेसी केंद्रीय बुंदेलखंड प्राधिकरण के मसले को पृथक बुंदेलखंड राज्‍य के गठन की ओर पहले कदम के रूप में पेश कर रहे हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि ऐसा करते वक्‍त वे यह बताने की कोशिश भी करते हैं कि पृथक बुंदेलखंड राज्‍य का गठन इस क्षेत्र की जनता की मांग है। जबकि सच्‍चाई यह नहीं है।
पृथक बुंदेलखंड राज्‍य की स्‍थापना को लेकर आम लोगों का क्‍या सोचना है और क्‍या वे ऐसे किसी राज्‍य का निवासी बनने को तैयार हैं? इस मुद्दे को लेक‍र कभी आम राय शुमारी नहीं की गई। यह महज चंद अवसरवादी राजनेताओं का शिगूफा है जो यह सोचकर इस मसले को हवा देते रहे हैं कि पृथक राज्‍य बनने पर वे दोयम दर्जे से उठकर पहली पंक्ति में शुमार हो सकेंगे और उन्‍हें भी राजसत्ता का सुख भोगने का अवसर भी मिल जाएगा।
bundelkhand.mapउत्तर प्रदेश की मुख्‍यमंत्री मायावती हों या मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, सभी ने अब तक बुंदेलखंड के मामले में राजनीतिक निहितार्थों के चलते ही बात की है। मायावती ने एक समय वर्तमान उत्तरप्रदेश के तीन हिस्‍से करने का मसला उछाला था लेकिन तीन साल पहले जब एक कांग्रेसी विधायक ने इस मसले पर विधानसभा में संकल्‍प पेश किया तो उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। उस पर चर्चा तक करने की जरूरत महसस नहीं की गई। अब वे विधायक प्रदीप जैन आदित्‍य केंद्रीय मंत्री बन चुके हैं और एक बार फिर उन्‍हें पृथक बुंदेलखंड का मुद्दा याद आ गया है।
दरअसल राहुल गांधी ने अचानक इस मामले में केंद्रीय प्राधिकरण बनाने और विशेष पैकेज देने की मांग उठाकर नया रंग दे दिया है। चूंकि बसपा और भाजपा ने इसका विरोध किया तो कांग्रेसियों को बैठे बिठाए उन्‍हें घेरने का एक मुद्दा मिल गया। अचानक प्राधिकरण की आड़ में पृथक बुंदेलखंड राज्‍य बनाने की चर्चा की जा रही है। कांग्रेसियों का एक तबका जिसे बुंदेलखंड की राजनीति में ही रुचि है अचानक इसे पार्टी के एजेंडे के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है।
सच यह है कि दोनों ही प्रदेशों में फैले बुंदेलखंड के एक दर्जन से अधिक जिलों में कांग्रेस का जनाधार पिछले दो दशकों में बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सागर संभाग के पांच जिलों की 26 सीटों में से 20-22 सीटों तक पर भाजपा का कब्‍जा रह चुका है। हालांकि पिछले चुनाव में यह वर्चस्‍व कुछ घटा है लेकिन अभी भी भाजपा का जनाधार यहां कांग्रेस से अधिक है और उसके पास अधिक सीटें भी हैं। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के वर्चस्‍व के बीच कांग्रेस को पिछले कुछ सालों से लगातार मुंह की खानी पड़ी है।
जानकारों का मानना है कि पिछले लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी के कड़े प्रयासों के बावजूद कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में वैसी सफलता नहीं मिल पाई जो एक समय इस राज्‍य में पार्टी का इतिहास रही है। संभवत: अब उन्‍हें भी इस बात का एहसास हो चुका है कि सपा और बसपा के बन चुके जनाधार को पूरी तरह नेस्‍तनाबूत कर वापस कांग्रेस को स्‍थापित करना शायद कभी संभव नहीं होगा। लिहाजा पार्टी के थिंक टैंक ने यह रास्‍ता सुझाया है कि इस बड़े राज्‍य का विभाजन कर दिया जाए तो छोटे टुकड़ों में पैदा होने वाले नए राज्‍यों को हथियाना अपेक्षाकृत कहीं अधिक आसान होगा।
बुंदेलखंड को देश के सर्वाधिक पिछड़े राज्‍यों में शुमार किया जाता है और काफी हद तक इसकी जिम्‍मेदार कांग्रेस है। इस क्षेत्र की जनता ने कांग्रेस को बरसों तक अपना अंध समर्थन दिया लेकिन बदले में उसे क्‍या मिला? अब भाजपा की सरकार होने के बावजूद भी स्थिति में कोई क्रांतिकारी बदलाव नहीं आया है। ऐसे में नया राज्‍य बनाने की दुहाई देने वाले नेताओं को यह बात साबित करके दिखाना चाहिए कि आखिर वे कहां से विकास की गंगा बहाएंगे?

यह शृंखला जारी रहेगी। अगले अंक में प‍ढ़ें कैसा होगा एक संसाधनविहीन, गरीब, पिछड़ा बुंदेलखंड राज्‍य…

पृथक बुंदेलखंड: सच्‍चाई यह भी -2

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