टीकमगढ़ (डेली हिंदी न्यूज़)। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को शुरू करने का उद्देश्य यह था कि मजदूरों का पलायन रुके और लोगों को उनके घर-गाँव के पास मजदूरी मिले। लेकिन बुंदेलखंड में इसके ठीक विपरीत काम हो रहा है। मनरेगा में मिलने वाली राशि का उपयोग मजदूरों को मजदूरी देने के बजाय खरीद-फरोख्त में किया जा रहा है।
टीकमगढ़ जिले में एक बी.जे.पी.नेता को फायदा पहुंचाने के लिए लगभग 4 करोड़ का सप्लाई आदेश दिया गया। हरियाली महोत्सव के नाम पर ट्री-गार्ड, पोल, चेन लिंक, फेंसिंग वायर की खरीदी का आदेश जुलाई 2008 में लघु उद्योग निगम के नाम पर दिया गया।
निगम में पंजीकृत फर्म गुडविल फैब्रिकेट्स और रिद्धी-सिद्दी इंटरप्राइस को ये आदेश दिए गए। इन फर्मो ने कागजों में जिले की सभी 6 जनपदों की ग्राम पंचायतों, स्कूलों और पुलिस थाने में सामान की सप्लाई कर दी। इसके बावजूद ना कहीं पौधे दिखे ना ट्री गार्ड। जिला पंचायत ने इन फर्मो को 12 सितंबर 2008 से 25 मई 2009 के बीच 1 करोड़ 59 लाख 25 हजार 375 रु का भुगतान कर दिया।
इस गोरखधंधे पर जिला पंचायत के सीईओ एके तिवारी द्वारा आपत्ति करने पर बीजेपी नेता रितेश भदोरा, पार्षद मनोज देवलिया और पुष्पेन्द्र गौर ने 13 अगस्त को सीईओ के साथ मारपीट की थी। कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज किया है लेकिन सभी आरोपी अभी फरार है।
पूर्व जिला पंचायत सीईओ एमसी वर्मा ने ये खरीदी आदेश दिए थे। खरीदी के लिए गठित समिति में पीओ [तकनीक] हरिवल्लभ त्रिपाठी इइआरइएस जीपी पटेल, अतिरिक्त सीईओ एबी खरे, मनरेगा केपीओ संजय सक्सेना, जनपद सीईओ को सम्मिलित किया गया था।
एस.पी.आकाश जिंदल के अनुसार जिला पंचायत ने खरीद प्रक्रिया का सारा रिकोर्ड जप्त कर लिया है। दोषी लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
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